श्री जन्माष्टमी का महोत्सव-


श्रीमदाचार्यचरण श्रीमहाप्रभुजी की दृष्टि से सिर्फ़ साधनहीन- नि:साधन पुष्टि जीवो को परमफल का दान करने ही श्रीपुष्टिपुरुषोत्तम श्रीमद् गोकुल में प्रकट हुए है।यह पुष्टि मार्ग का सबसे बडा उत्सव माना जाता है।
रोहिण नक्षत्र, बुधवार को मथुरा में जेल में और गोकुल में श्री कृष्ण प्रकट हुऐ, मानो घर घर में प्रकटय हुआ।श्री प्रभु को आज पंचामृत स्नान कराते हैं,
पंचामृत यानी...अमृततुल्य- दूध....स्वामीनी जी का भावदही... श्रूतिरुपा के भावधी...यमुना जी का भावखांड...ऋषिरुपा के भावमधु...पुलिन्दी जी का भाव।रात को 12 बजे प्रभु को पंचामृत स्नान करावेंं।रात को जागरण कर के प्रभु सेवा, स्मरण, कीर्तन करें और जीव प्रभु को लाड़ लडा़वपद:-तिलक,अक्षत,आरती के साथ झाझ पखवाज वाद्य बजायें कीर्तन,बधाई सब गायें-

बृज भयो महरि के पूत जब यह बात सुनी।सुनी आनंदे सब लोक गोकुल गणित गुनी।।1।।
ब्रज पूरव पूरे पुन्य रूपी कुल सुथिर धुनी।गृह लग नक्षत्र बलि सोधि कीनी वेद धुनि।।2।।
सुनी धाईंं सब ब्रजनारि सहज सिंंगार कियेंं।तन पहरें नौतन चीर काजर नेंंन दियें।।3।।
कसि कंचुकी तिलक लिलाट शोभित हार हियेंं।कर कंकण कंचन थार मंगल साज लिये।।4।
।वे अपने अपने मेल निकसी भांति भलीं।मानोंं लाल मुनिन की पांति पिंजरन चूर चली।।5।।
वे गावे मंगल गीत मिलि दश पांच अलींं।मानौं भोर भयौ रवि देखि फूली कमल कलीं।।6।।
उर अंचल उड़त न जान्यों सारी सुरंग सुही।मुख मांड्यौ रोरी रंग सेंदुर मांग छुहींं।।7।।
श्रम श्रवनन तरल तरोंंना बेनी शिथिल गुहीं।शिर वरषत कुसुम सुदेष मानो मेघ फुही।।8।।
पिय पहले पोहोंची जाय अति आनंद भरी।लई भीतर भवन बुलाय सब शिशु पाय परी।।9।।ऐक वदन उघारि निहारत देत असीस खरी।चिरजियो यशोदा नंद पूरन काम करी।।10।।धन्य धन्य दिवस रात्री धन्य यह पहर घरी।धन्य धन्य महरिजू की कूँँखि भागि सुहाय भरी।।11।।जिन जायो ऐसो पूत सब सुख फलन फरी। थिर थाप्यो सब परिवार मनकी शूलहरी।।12।।
सुनी ग्वालन गाय बहोरी बालक बोली लिए।गुहि गुंजा घसि वनधातु अंग अंग चित्र ठये।।13।।सिर दधि माखनके माट गावत गीत नये।संग झांझ मृदंग बजावत सब नंद भवन गये।।14।।एक नाचत करत कुलाहल छिरकत हरद दही।मानोंं बरखत भादोमास नदी धृत दूध बही।।15।।
जाको जहींं जहीं चित जाय कौतिक तहीं तहींं।रस आनंद मगन गुवाल काहू बदत नहीं।।16।।एक धाई नंदजूपे जाय पुनि पुनि पायँ परें।एक आप आप ही मांझ हँसि हँसि अंक भरें।।17।।...