साक्षी ध्यान क्या है*


जब भी हम प्रभु का नाम लेते है, या माला फिराते है तब, या जब भी पूजा सेवा में अकेले होते है तब, *अक्सर हम सबके साथ एसा होता होगा की कुच्छ विचार आते है बुरे या अच्छे* ....... *RIGHT* ?? *एसा हम कहेते है* |
*पर ग्रन्थ कहते है की यह विचार आ नहीं रहे किन्तु जा रहे है मन से बाहर* ..| पर हम उनसे (उनविचारों से ) अपना सम्बन्ध जोड़ते है और मन से कुछ ज्यादा ही उन *जाते विचारों के बारे में सोचतेहै* अत: *वह विषय विचार दृढ़ होकर हमारा पीछा नहीं छोड़ते और फिर हमें ही डराते है* |
*आजसे एक नियम लें* *उन विचारों कों जाने दें* उनसे अपना सम्बन्ध ना जोड़े | और मात्र साक्षीबनकर *मुस्कुराते हुए उन विचारों कों विषयों कों देखे मात्र* और एक जादू होगा वह विचार चलेजायेंगे | *यही साक्षी ध्यान* कहेलाता है ||
|| जय श्री गोपीनाथ || जय श्री कृष्ण ||